ऽ 2000 से
अधिक जनसख्या वाले संक्रमणकालीन के लिये जिसका स्थानीय प्रषासन के लिये प्राप्त
वार्शिक राजस्व पांच लाख रूपये से अधिक हो ।
ख. नगर परिशदः
ऽ 5000 से अधिक जनसख्ंया वाले छोटे नागरिक क्षेत्रो के लिये जिनका स्थानीय
प्रषासन के लिये प्राप्त वार्शिक राजस्व 10.00 लाख रूपये से अधिक हो ।
ग. नगर निगमः
ऽ 50000 से अधिक जनसख्ंया वाले वृहन्तर क्षेात्र के लिये जिनका स्थानीय प्रषासन
के लिये प्राप्त वार्शिक राजस्व 2.00 करोड रूपये से अधिक हो ।
ऽ षहरी स्थानीय निकायो की र्काय/षक्तियां
ऽ नगर पालिका अधिनियम 1992 के अनुसार राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा नगरपालिकाओ
को स्वायत स्वषासन की संस्थाओ के रूप के निम्नलिखित कार्यो को करने की ऐसी
षाक्तियां दे सकती है जो आवष्यक हो ।
;पद्ध पद्ध आर्थिक विकास तथा सामाजिक न्याय के लिये योजनायें तैयार करना।
;पपद्ध निम्नलिखित सहित ऐसे कृत्यों का अनुपालन तथा स्कीमों को कार्यान्वित करना,
जो उन्हे सौंपा जाये:-
नगरीय योजना जिसमें नगर योजना शामिल है।
भूमि उपयोग तथा निर्माण संरचना विनिमय।
आर्थिक और सामाजिक विकास योजना।
सड़के और पुल।
घरेलू औधौगिक और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिये जल प्रदाय।
जन स्वास्थय, स्वच्छता, सफाई व्यवस्था और कूड़ा कर्कट का प्रबन्ध।
अग्निषमन सेवाये
नगरीय वानिकी, पर्यावरण का संरक्षण और परिस्थिती की आयामों की अभिवृद्वि।
समाज में कमजोर वर्गो के हितों की रक्षा करना, इनमें विकलांग और मन्द बुद्वि
भी शामिल है।
गन्दी बस्ती सुधार और उन्नति।
नगरीय निर्धनता उन्मूलन।
नगरीय सुख-सुविधाओं और अन्य सुविधायें जैसे पार्क, उद्याान, खेल के मैदान आदि
की व्यवस्था करना
संास्कृतिक, शैक्षणिक और सौन्दर्यपूर्वक आयामों की वृद्वि।
दफन और कब्रिस्तान, शबदाह और शमषान और विद्युत शबदाह गृह
काजी हाऊस, पशुओं के प्रति कु्ररता का निवारण।
जन्म-मरण सांख्यिकी, इसमें जन्म और मरण रजिस्ट्रीकरण शामिल है।
सार्वजनिक सुख-सुविधायें इसमें मार्ग प्रकाष, पार्किंग स्थल, बस स्टाप व अन्य
जन सुविधायें शामिल है।
पशु वधशालाओं और चर्म शोधन शालाओं का विनिमय। |