नगर पालिका पार्शद के अधिकार तथा कर्तव्यः
ऽ पार्शद नगरपालिका के कार्यो की उपेक्षा या गुणवता ठीक न होने पर संदर्भ
नगरपालिका अधिकारी का ध्यान इस ओर आकर्शित कर सकता है
ऽ नगरपालिका की सम्पति की हानि या नश्ट होने पर संदर्भ अधिकारी को बता सकता है
।
ऽ किसी मोहल्ला या बस्ती की समस्या निवारण हेतू संदर्भ अधिकारी को सलाह दे सकता
है ।
ऽ पार्शद अध्यक्ष से बैठक के कुछ मामलों के विशय में प्रष्न पुछ सकता है, पर
प्रष्न पूछने के लिए इन्हे सात दिन पहले लिखित सूचना देनी होगी । इन प्रष्नो के
समाधान के बारे मे अन्तिम निर्णय अध्यक्ष/सभापति का होगा । नगरपालिका के बैठक
में ऐसा प्रष्न नही पूछा जा सकता है जो नगरपालिका प्रषासन से सम्बधित नहीं हो
या उसका उतर नही दिया जा सकता है ।
ऽ पार्शद नगरपालिका की बैठक मे कोई प्रस्ताव या संकल्प प्रस्तुत कर सकता है ।
ऽ वह अध्यक्ष को उचित सूचना देकर नगरपालिका कार्यालय मे अभिलेख का निरिक्षण कर
सकता है । अध्यक्ष लिखित कारण बताकर किसी पार्शद को ऐसा करने से मना भी कर सकता
है ।
1. अधिकारियो/कर्मचारियों की षक्तिया / कर्तव्यः कार्यकारी अधिकारी/सचिव:
ऽ कार्यकारी अधिकारी नगरपालिका के समस्त अभिलेखो, कागजों और दस्तावेजो की
अभिरक्षा के लिए उत्तरदायी है ।
ऽ वह नगरपालिका के कर्तव्यों एवं कार्यवाहियो का पालन हो ऐसी व्यवस्था करेगा एवं
उनमे लिए गए निर्णयों को र्कायान्वित करने की व्यवस्था करेगा तथा सम्बधित सभी
कागजों और दस्तावेजो सहित सभी अभिलेखो की अभिरक्षा के लिए उत्तरदायी होगा ।
ऽ वह ऐसे निकायों की कार्यवाहियो से सम्बधित ऐसे कर्तव्यों की , जिन्हे वे
क्रमषः अधिरोपिय करें, पालन के लिए व्यवस्था करेगा ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी/सचिव यह देखेगा की नगरपालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या किसी
सदस्य की कोई कार्यवाही, निर्णय , आदेष इस अधिनियम तथा इसके अधीन बनाये गये
नियमों के उपबन्धों के अनुसार हों एवं नगरपालिका के हित के अनुकूल हों । ऐसा ना
होने पर कार्यकारी अधिकारी/सचिव एक विसम्मति का टिप्पणी करेगा और मामले की
रिपोर्ट निदेषक षहरी विकास और राज्य सरकार को देगा ।
ऽ परन्तु विसम्मति टिप्पणी निदेषक षहरी विकास या राज्य सरकार को प्रस्तुत कर
देना मात्र ही उस कार्यवाही , आदेष को रोकने के लिए संपूर्ण नही होगा ।
ऽ इसके पष्चात निदेषक षहरी विकास या राज्य सरकार या उसके द्वारा प्रधिकृत कोई
अधिकारी विसम्मति टिप्पणी का परीक्षण करेगा और उचित आदेष देगा जो नगरपालिका पर
आबद्वकर होगा ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी/सचिव को समस्त अनुज्ञप्तियों ,अनुज्ञायों तथा नगरपालिका
द्वारा इस अधिनियम के अधीन दिए गए आदेषो का अपने हस्ताक्षरों से अधिप्रमाणित
करने की षक्ति प्राप्त होगी ।
ऽ कोई भी अनुज्ञप्ति या अनुज्ञा अथवा आदेष तब तक वैध नही होगा जब तक कि वह
कार्यकारी अािधकारी/सचिव द्वारा इस प्रकार अधिप्रमाणित न कर दिया गया हो ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी/सचिव की ऐसी अन्य षक्तियों का प्रयोग करेगा जो विहित की
जाये ।
एकाउप्टेस के संबंध मे कार्यकारी अधिकारी के कर्तव्यः
ऽ रकम सिर्फ नगरपालिका निधि के नियम के अनुसार ही दी जाएगी तथा ऐसी सभी रकम के
चेक पर कार्यकारी अधिकारी या अध्यक्ष का हस्ताक्षर होगा ।
ऽ नगरपालिका निधि का प्रबंधन कार्यकारी अधिकारी की मुख्य जिम्मेदारी है और
कार्यकारी अधिकारी यह भी देखेगा कि नगरपालिका के व्यवस्थित आंतरिक जंाच की
व्यवस्था है जिसमें कि नगरपालिका निधि मे हो रही गलतियों को कम मिया जा सके एवं
अनियमिताओं को रोका जा सके । जिससे जन संसाधन कम से कम व्यर्थ जाए ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी नगरपालिका कार्यालय का निरीक्षण छः महीने म एक बार करेगा
और निरीक्षण के दौरान आई बातों को इन्सपेक्षन बुक मंे दर्ज करेगा । ताकि इस का
निर्वाण किया जा सके ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी यह व्यक्तिगत तौर पर देखेगा कि हरेक बर्श के 15 मई से पहले
सभी लेखा पूर्ण है और संपरीक्षा के लिए तैयार है। वह यह भी देखेगा कि वार्शिक
लेखा वंद हो चुके है ।
तकनीकी अधिकारी /कर्मचारी ;नगरपालिका अभियन्ता, सफाई निरीक्षक, सफाई
पर्यवेक्षक, लिपिक लेखाकार इत्यादि ।
यह सभी कर्मचारी कार्यकारी अधिकारी के अधीन तथा उसके नियन्त्रण मे कार्य करेगे
।
वनिष्चय किये जाने की प्रक्रिया मे पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें
पर्यवेक्षण व उतरदायित्व का माघ्यम भी सम्मिलित होः-
नगरपालिका मे स्थायी समितियो के गठन का प्रावधान है । इन समितियो का गठन
नगरपालिका के उपस्थित सदस्यो के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा किया जाएगा ।
समिति के कुल सदस्यो की सख्या नगरपालिका द्वारा तय की जाएगी पर समिति मे अधिकतम
5 पार्शद होगें। समिति को उसकी षकितयाॅं व कार्यो का नियम बनाकर प्रदान किया
जाएगा । ये सभी समितियाॅं नगरपालिका अधिनियम मे वर्णित प्रषासनिक धाराओ एवं इसके
अन्तगत निर्मित नियमो और उपनियमों के आधार पर कार्य करेगी ।
1. स्थायी समितियाॅं धारा ;49द्ध
ऽ यह स्थापना विशयों संचार भवन, नागरीय आवास जन प्रदाय मल निकासी, राहत कार्य
इत्यादि की देखरेख करती है।
2, वित, अंकेक्षण एवं योजना समिति
ऽ यह वित बजट राजस्व प्रस्ताव प्राप्तियां एवं व्यय विवरण तैयार करने का काम
देखती है ।
3, समाजिक न्याय समिति
ऽ यह अनुसूचित जातियों अनुसूचित जन जातियों पिछडे वर्ग महिलाओ, षिक्षा, अर्थिक
सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य हितो की अभिवृद्वि की देखरेख करती है।
प्रत्येक स्थाई समिति, नगरपालिका के निर्वाचित सदस्यो द्वारा निर्वाचित सदस्यो
मे से बनाई जाएगी। अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष सहित स्थाई समिति के सदस्यो की संख्या
3 से कम तथा 5 से अधिक नही होगी । सामाजिक न्याय में कम से कम एक सदस्य महिला
होगी या अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति से होगा ।
नगर पालिका का एक सदस्य दो से अधिक स्थाई समितियो का सदस्य नही हो सकता ।
ऽ कार्यकारी अधिकारी/सचिव प्रत्येक स्थाई समिति के पदेन सचिव होते है ।
ऽ यदि उपाध्यक्ष नगरपालिका के अध्यक्ष के रूप मे कार्य करे तो सामाजिक न्याय
समिति के सदस्य अपने में से अध्यक्ष का चुनाव कर सकते है । स्थाई समितियां उपर
दिये गए कार्यो का पालन नगरपालिका द्वारा इसे समितियों दी गई षक्तियों के
अनुसार ही करेगी ।
ऽ स्थाई समितियों द्वारा कार्य संचालन ;धारा 51द्ध
ऽ नगरपालिका इन स्थाई समितियों के सदस्यो के निर्वाचन,उनके काम काज के संचालन
तथा संबधित विशयो से संबधित उप विधियाॅं वना सकेगी ।
ऽ समिति का अध्यक्ष,समिति के कार्य के बारे मे नगरपालिका कार्यालय से कोई
जानकारी विवरणी, कथन,लेख या रिर्पोट मंगवाने, नगरपालिका की किसी स्थायी समपति
या नगरपालिका की किसी निजि सम्पतियों, नगरपालिका के कार्य से सबधित रही
कार्यवाही मे प्रवेष करने और निरीक्षण का हकदार होगा ।
ऽ प्रत्येक स्थायी समिति, नगरपालिका कार्य से सबंधित, नगरपालिका के किसी अधिकारी
से अपनी बैठक में उपास्थित होने के लिए कर सकती है ।
ऽ समिति के अनुदेषो के अधीन कार्यकारी अधिकारी/सचिव उस अधिकारी का नोटिस जारी
कर उसकी उपस्थिति सुनिष्चित करेगा ।
ऽ प्रत्येक समिति का अध्यक्ष, समिति के कार्य के बारे मे नगरपालिका के कार्यालय
से कोई जानकारी, विवरण, आकडे लेखा जोखा इत्यादि की मांग कर सकते है ।
4, कार्य निर्वहन के लिये स्थापित मानकः
ऽ नगर पालिका के सभी कार्य सरकार के निदेषानुसार निशपादित किये जाते है तथापि
हि0प्र0 नगरपालिका अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अन्तर्गत विभिन्न कार्यो की
प्रक्रियाओं का संक्षितप व्यौरा निम्न प्रकार में हैः-
ऽ संम्पतियाॅं/ भूमि के खरीद पर छव्ब् ;छव वइरमबजपवद ब्मतजपपिबंजमद्ध एन0ओ0सी0
की प्रक्रिया:-
ऽ नगरपालिका क्षेत्र के अन्दर आने वाले संम्पति भूमि के क्रय-विक्रय के मामले
मे नगरपालिका एन0ओ0सी0 जारी करती है ।
ऽ जो कोई व्यक्ति नगरपालिका क्षेत्र के अन्दर भूमि या संम्पति अर्जित करता है
उसे नगरपालिका द्वारा एन0ओ0सी0 लेना होता है ।
नल व बिजली का कनेक्षन के लिए एन0ओ0सी0 की प्रक्रिया:-
ऽ यह नगरपालिका क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्तियो के लिए लागू होता है ।
पब्लिक हेल्थ एवं सफाई विभाग:
जन मार्ग ;(Public
Street)
का कनेक्षन के लिए एन0ओ0सी0 की प्रक्रिया:-
ऽ यह नगरपालिका क्षेत्र में रहने वाले सभी व्यक्ति इस के लिए आवेदन भरा सकता है
।
ऽ समायता आवेदक स्वयं नगरपालिका जा कर या फोन पर इसके बारे मे सेनीटरी
इंस्पेक्टर को जानकरी देता है ।
स्लाटर हाउसः
ऽ किसी व्याक्ति द्वारा स्लाटर हाउस नगरपालिका क्षेत्र मे खोलने, तेल उघोग या
डेयरी खोलने, साबुन बनाने जैसे लघु मंत्रलय खोलने के लिए नगरपालिका से लाईसेस
लेना आवष्यक है ।
खतरनाक बिल्डिंग को हटाने की प्रक्रिया
ऽ किसी नए भवन के नए भाग के निर्माण के लिए या किसी भवन के पुर्ननिर्माण करने
या किसी भवन में परिवर्तन करने के लिए नगरपालिका को सूचना देना तथा उसकी अनुमति
प्राप्ति करना आवष्यक है । किसी भवन के बाध्य प्रक्षेप के निर्माण या
पुर्ननिर्माण के लिए नगरपालिका की अनुमति लेना आवष्यक है ।
जन सुरक्षा का कार्य एवं आग्जनि से नागरिक की सुरक्षा ।
जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया
ऽ जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण दो प्रकार से होता है अगर वच्च्ेा का जन्म
नगरपालिका क्षे़त्र मे आने वाले अस्पताल मे हुआ है तो अस्पताल मासिक रिर्पोट
द्वारा उन सभी वच्चो का पंजीकरण कर दिया जाता है जिन्होने उस अस्पताल मे जन्म
लिया है। यदि नगरपालिका क्षे़त्र मे आने वाले अस्पताल मे किसी व्यक्ति की मृत्यु
होती है तो अस्पताल मासिक रिर्पोट नगरपालिका को भेजने में उस मृतक का पंजीकरण
हो जाता है। दूसरी स्थिति में जब बच्चे का जन्म घर मे हुआ है तो बच्चे के
अभिभावक या घर वाले की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि वो 20 दिन के अन्दर इसका
पजीकरण नगरपालिका मे करवा दे । अगर किसी व्यक्ति मी मृत्यु घर पर होती है तो
मृतक के घर वालो की यह जिम्मेदारी होती है कि वो नगरपालिका मे आवेदन दे तथा
मृत्यु पंजीकरण कराएॅं ।
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